Sunday, July 24, 2022

छूटि अओ देसु

छूटि अओ पानी अउ छूटि अओ देसु
रोटिन की खातिर  मिलो हइ परदेसु
जाड़िन मइंँ यादि आई कथरी अउ खेस
लाइ कोई खटिया पइ करइ हमइंँ पेस।। 

गरमिन के दिन अउर पेड़न पइ बउर 
मकई  की रोटी संग चटनी को कउर 
गाँव छोड़ि ढूँढइ कोई अंत काये अउर 
अपनो सो गाँउ नाईं धत्ती पइ अउर ।। 

घूमि लई दुनिया अउ घूमि लये देस 
भूलि गए देस, गाँव मन मइंँ अब सेस 
कहइँ जल्लाबाद बारे सुनउ संदेस
आधी खाइ लिअउ भइया बसिअउ ना बिदेस।। 

-डॉ० सुभाष शर्मा, आस्ट्रेलिया

No comments:

Post a Comment